परशुराम की प्रतीक्षा रामधारी सिंह दिनकर
परशुराम की प्रतीक्षा कविता का अर्थ
परशुराम की प्रतीक्षा राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित खंडकाव्य की पुस्तक है। इस खंडकाव्य की रचना का काल 1962-63 के आसपास का है, जब चीनी आक्रमण के फलस्वरूप भारत को जिस पराजय का सामना करना पड़ा, उससे राष्ट्रकवि दिनकर अत्यंत व्यथित हुये और इस खंडकाव्य की रचना की।
परशुराम की प्रतीक्षा रामधारी सिंह दिनकर जी की सुप्रसिद्ध काव्यकृति है। कवि का स्वाभिमान सौभाग्य पौरुष से मिलकर नए भावी व्यक्ति की प्रतीक्षा में रत दिखाई देता है। सतत् जागरूकता परिस्थितियों के संदर्भ में समकालीनता एवं व्यवहारिक चिंतन एक कवि लिए आवश्यक है। प्रस्तुत रचना भारत-चीन युद्ध के पश्चात लिखी गई थी। कवि कहता है कि हमें अपने नैतिक मूल्यों की रक्षा करते हुए अपने राष्ट्रीय सम्मान की रक्षा के लिए सतत जागरूक रहना चाहिए। युद्धभूमि में शुत्रु का विनाश करने के लिए हिंसा अनुचित नहीं है।
परशुराम की प्रतीक्षा कविता का भाव स्पष्ट कीजिए
प्रस्तुत कविता में परशुराम धर्म अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया है। कवि की सोच उसके विश्वास का साथ देती हुई यही निष्कर्ष निकालती है।
वे पीयें शीत तुम आतम घाम पियो रे ।
वे जपें नाम तुम बनकर राम जी ओ रे।।
20 अक्टूबर 1962 को भारत पर चीन ने आक्रमण कर दिया इससे पूर्व चीन भारत से मित्रता का स्वांग करता रहा। यह आक्रमण भारत के उत्तरी पश्चिमी सीमांत क्षेत्र लद्दाख पर किया और दूसरी तरफ उत्तरी पूर्वी सीमांत क्षेत्र नेफा पर तैयारी ना होने के कारण भारत हारा।
परशुराम की प्रतीक्षा किसकी रचना है
परशुराम की प्रतीक्षा राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' द्वारा रचित खंडकाव्य की पुस्तक है। इस खंडकाव्य की रचना का काल 1962-63 के आसपास का है, जब चीनी आक्रमण के फलस्वरूप भारत को जिस पराजय का सामना करना पड़ा, उससे राष्ट्रकवि दिनकर अत्यंत व्यथित हुये और इस खंडकाव्य की रचना की।
परशुराम की प्रतीक्षा कविता का भावार्थ
प्रस्तुत रचना भारत-चीन युद्ध के पश्चात लिखी गई थी। कवि कहता है कि हमें अपने नैतिक मूल्यों की रक्षा करते हुए अपने राष्ट्रीय सम्मान की रक्षा के लिए सतत जागरुक रहना चाहिए। युद्धभूमि में शत्रु का विनाश करने के लिए हिंसा अनुचित नहीं है।
परशुराम की प्रतीक्षा का केंद्रीय भाव
प्रस्तुत रचना भारत-चीन युद्ध के पश्चात लिखी गई थी। कवि कहता है कि हमें अपने नैतिक मूल्यों की रक्षा करते हुए अपने राष्ट्रीय सम्मान की रक्षा के लिए सतत जागरुक रहना चाहिए। युद्धभूमि में शत्रु का विनाश करने के लिए हिंसा अनुचित नहीं है।
परशुराम की प्रतीक्षा कविता का सारांश
परशुराम की प्रतीक्षा दिनकर जी की सुप्रसिद्ध काव्यकृति है। कवि का स्वाभिमान सौभाग्य पौरुष से मिलकर नए भावी व्यक्ति की प्रतीक्षा में रत दिखाई देता है। सतत् जागरूकता परिस्थितियों के संदर्भ में समकालीनता एवं व्यवहारिक चिंतन एक कवि लिए आवश्यक है। प्रस्तुत रचना भारत-चीन युद्ध के पश्चात लिखी गई थी। कवि कहता है कि हमें अपने नैतिक मूल्यों की रक्षा करते हुए अपने राष्ट्रीय सम्मान की रक्षा के लिए सतत जागरूक रहना चाहिए। युद्धभूमि में शुत्रु का विनाश करने के लिए हिंसा अनुचित नहीं है
परशुराम की प्रतीक्षा के लेखक
परशुराम की प्रतीक्षा सामाजिक विषय पर आधारित रामधारी सिंह 'दिनकर' जी द्वारा रचित कविता संग्रह और खंडकाव्य की पुस्तक है।
परशुराम की प्रतीक्षा के लेखक कौन हैं
परशुराम की प्रतीक्षा सामाजिक विषय पर आधारित रामधारी सिंह 'दिनकर' जी द्वारा रचित कविता संग्रह और खंडकाव्य की पुस्तक है।
परशुराम की प्रतीक्षा के रचनाकार
परशुराम की प्रतीक्षा सामाजिक विषय पर आधारित रामधारी सिंह 'दिनकर' जी द्वारा रचित कविता संग्रह और खंडकाव्य की पुस्तक है।
परशुराम की प्रतीक्षा का सारांश
परशुराम की प्रतीक्षा दिनकर जी की सुप्रसिद्ध काव्यकृति है। कवि का स्वाभिमान सौभाग्य पौरुष से मिलकर नए भावी व्यक्ति की प्रतीक्षा में रत दिखाई देता है। सतत् जागरूकता परिस्थितियों के संदर्भ में समकालीनता एवं व्यवहारिक चिंतन एक कवि लिए आवश्यक है। प्रस्तुत रचना भारत-चीन युद्ध के पश्चात लिखी गई थी। कवि कहता है कि हमें अपने नैतिक मूल्यों की रक्षा करते हुए अपने राष्ट्रीय सम्मान की रक्षा के लिए सतत जागरूक रहना चाहिए। युद्धभूमि में शुत्रु का विनाश करने के लिए हिंसा अनुचित नहीं है।
परशुराम की प्रतीक्षा किस विधा की रचना है
परशुराम की प्रतीक्षा राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' द्वारा रचित खंडकाव्य की पुस्तक है। इस खंडकाव्य की रचना का काल 1962-63 के आसपास का है, जब चीनी आक्रमण के फलस्वरूप भारत को जिस पराजय का सामना करना पड़ा, उससे राष्ट्रकवि दिनकर अत्यंत व्यथित हुये और इस खंडकाव्य की रचना की।
परशुराम की प्रतीक्षा किसकी कृति है
परशुराम की प्रतीक्षा सामाजिक विषय पर आधारित रामधारी सिंह 'दिनकर' जी द्वारा रचित कविता संग्रह और खंडकाव्य की पुस्तक है।
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