Friday, 22 July 2022

रामधारी सिंह दिनकर की उर्वशी पुस्तक शब्द (shabd.in) पर उपलबब्ध है

 उर्वशी रामधारी सिंह दिनकर

उर्वशी रामधारी सिंह दिनकर


उर्वशी में कुल कितने अंक हैं?

ऋग्वेद में आयी वैदिक संस्कृति की पहली कथा उर्वशी और राजा पुरुरवा की कथा है। इसका काल विद्वानों ने 1600 ई.पू. माना है। दो भिन्न संस्कृतियों की टकहराट की प्रतीक बन गयी है यह मार्मिक प्रणय-गाथा।  उर्वशी में कुल 5 अंक हैं । 


उर्वशी की भाषा क्या है?

उर्वशी दिनकर द्वारा रचित काव्य है जिसको उन्होंने हिंदी भाषा मे लिखा है। दिनकर की भाषा में हमेशा एक प्रत्यक्षता और सादगी दिखी है, परन्तु उर्वशी में भाषा की सादगी अलंकृति और आभिजात्य की चमक पहन कर आयी है-शायद यह इस कृति को वस्तु की माँग रही हो।। रामधारी सिंह दिनकर की महत्वपूर्ण कृति है।


उर्वशी का नायक कौन है? 

उर्वशी के नायक राजा पुरुरवा हैं । जो उर्बशी को भूलोक पर अपरहण कर्ताओं से बचाते हैं।पुरुरवा सिंह के समान निर्भीक था, उसने बिना किसी हिचकिचाहट के असुर पर आक्रमण कर दिया। अन्ततः उसने असुर को अपनी तलवार से मौत घाट उतार दिया।


उर्वशी किसकी कहानी है?


ऋग्वेद में वैदिक संस्कृति की पहली कथा उर्वशी और राजा पुरुरवा की है। दो भिन्न संस्कृतियों की टकहराट की प्रतीक बन गयी है यह मार्मिक प्रणय-गाथा। उर्वशी के लिए रामधारी सिंह 'दिनकर' को ज्ञानपीठ सम्मान से सम्मानित किया गया था। 


उर्वशी स्वर्गलोक की मुख्य अप्सरा थी। वह देवराज इन्द्र के दरबार में हर शाम नृत्य किया करती थी। वह सुन्दर थी,  उसने अपना हृदय किसी को अर्पित नहीं किया था। उर्वशी सभी देवताओं की महिला मित्र के रूप में ही जानी-मानी जाती थी।


एक बार वह और उसकी सखी चित्रलेखा और अन्य अप्सराएं, दोनों भू-लोक पर घूमने निकलीं। वहाँ एक असुर की उन पर दृष्टि जा पड़ी और उसने उनका अपहरण कर लिया। 


वह उन्हें एक रथ में लिये चला जा रहा था और वे जोर-जोर से विलाप कर रही थीं कि भूलोक के एक राजा 'पुरुरवा' ने उनका चीत्कार सुन लिया। पुरुरवा सिंह के समान निर्भीक था, उसने बिना किसी हिचकिचाहट के असुर पर आक्रमण कर दिया। अन्ततः उसने असुर को अपनी तलवार से मौत घाट उतार दिया।


उर्वशी को ज्ञानपीठ पुरस्कार कब मिला?


उर्वशी रामधारी सिंह 'दिनकर' द्वारा रचित काव्य नाटक है। १९६१ ई. में प्रकाशित इस काव्य में दिनकर ने उर्वशी और पुरुरवा के प्राचीन आख्यान को एक नये अर्थ से जोड़ना चाहा है। अन्य रचनाओं से इतर उर्वशी राष्ट्रवाद और वीर रस प्रधान रचना है। और वर्ष 1972 में काव्य रचना उर्वशी के लिये दिनकर जी को ज्ञानपीठ से सम्मानित किया गया।


रामधारी सिंह दिनकर की उर्वशी पुस्तक शब्द (shabd.in) पर उपलबब्ध है

0 comments:

Post a Comment